ट्रेडिंग के मुश्किल शब्द – दूसरा चैप्टर

हेलो दोस्तो आज हम सीखेगे ऑप्शन ट्रेडिंग में इस्तमाल किए जाते शब्द। इनको सीख लोगे तो आपको ऑप्शन ट्रेडिंग सीखने में बहुत आसानी होगी।

जब मैं पहली बार ट्रेडिंग सीखने किसी के पास गया था तो उसने मुझे इतने उल्ट सुलट पता नहीं क्या क्या अंग्रेजी में समझाया और अगले दिन से मैंने ट्रेडिंग न सीखने का मन बना लिया

क्यूंकि ट्रेडिंग में इतने मुश्किल शब्दों का इस्तेमाल कीया जाता है कि एक नया बंदा घबरा कर छोड़ ही जाता है और शर्म कि मारे पूछता भी नहीं कि इसका मतलब क्या है । लेकिन मेरे साथ मेरा भाई था जिसने मुझे सभ धीरे धीरे करके आसान भाषा में सिखाया।

लेकिन दोस्तों आज मुझे लगता है कि मेरी तरह कोई और ऐसे न छोड़ कर जाने का विचार न करे क्यूंकि आपके साथ आपका ये भाई है जो हर एक चीज़ को सरल भाषा में सीखा देगा और आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब आप ट्रेडिंग में से पैसा बनाना चालु कर दिए।

हो सकता है शुरू में थोड़ा सा मुश्किल लगे लेकिन इस पोस्ट को दो तीन बार पढ़ लेना तब तक पढ़ते रहना जब तक दिमाग में ये सरे शब्दों की समझ न आ जाये। क्यूंकि ये ट्रेडिंग कि बेसिक से बी बेसिक है मान लो मकान की नीव है अगर नीव ही कमज़ोर रही तो मकान मज़बूत कैसे बनेगा तो चलिए सीखते है और नीव मज़बूत करते है।

डीमैट अकाउंट क्या होता है

ट्रेडिंग शुरू करने के लिए आपको डीमैट अकाउंट चाइए होगा। ये आप किसी भी बैंक से खुलवा सकते हैं। जैसे बैंक में सेविंग अकाउंट होता है और करंट काउंट होता है वैसे ही डीमैट अकाउंट भी होता है। जिससे आप ट्रेडिंग कर सकते हैं और स्टॉक्स को बाय और सेल कर सकते हैं।


वैसे तो बड़े बड़े बैंक्स डीमैट अकाउंट खोलते हैं। लेकिन अगर आप बिगनर है तो आप कोई एप्लिकेशन में अपना डीमैट अकाउंट खुलवाइये जैसे कि ग्रो एप्लीकेशन जा, फिर अपस्टॉक्स या फिर जरोदा एप्लिकेशन। ऐसी बहुत सी एप्लीकेशन है। जिनमें आप डीमैट अकाउंट घर बैठे खुलवा सकते हैं।


डीमैट अकाउंट खुलवाना बहुत ही आसान होता है, इसमें आपकी केवाईसी लगती है आपका पैन कार्ड और आपका आधार कार्ड और आपकी बेसिक डिटेल्स इसमें अपलोड की जाती है और एक या 2 दिन में आपका डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट एक्टिवेट हो जाता है।


ऑप्शन ट्रेनिंग के लिए आपको। अलग से एक्टिवेट करवाना पड़ता है। अपनी डीमेट अकाउंट में फ्यूचर एंड ऑप्शन को एक्टिवेट करने के लिए आपको अपने बैंक स्टेटमेंट या फॉर्म 16 या आपकी सैलरी स्लिप या आपकी आईटीआर की कॉपी अपलोड करनी पड़ती है। जब आप उस में अपलोड कर देते हैं हो तो ऑप्शन ट्रेडिग की एक्टिवेशन आपके डीमैट अकाउंट में हो जाती है।

ऑप्शन ट्रेनिंग में डिलीवरी और इंट्रा डे।

ऑप्शन ट्रेनिंग में दो तरह की ट्रेनिंग होती है, एक होती है डिलीवरी और एक होती है इंट्रा डे। सबसे पहले, मैं आपको इंट्राडे के बारे में बताता हूँ


इंटराडे ट्रेडिंग

भारत में शेयर मार्केट सुबह 9.15 से शाम को 3:30 बजे तक चलती है। इंट्राडे ट्रेनिंग में आपको इसी समय के बीच में। शेयर को खरीदना और बेचना होता है। भले ही आपको लाभ हो रहा हो जहाँ हानि हो रही हो, आपको 3:30 बजे तक आपको अपना शेयर बेचना ही होता है।

अगर आप अपना शेयर 3:30 बजे तक नहीं बेचते तो वो खुद व खुद बिक जाता है और जो भी मार्केट का प्राइस शेयर का मूल्य होता है वो आपको मिल जाता है चाहे वो बहुत कम हो, चाहे वो बहुत ज्यादा हो। तो ऐसे में इंट्राडे में सिर्फ एक ही दिन का समय होता है और इसी वजह से इसमें रिस्क बहुत ज्यादा होता है।

डिलीवरी इंट्राडे में क्या अंतर है?
डिलीवरी इंट्राडे में क्या अंतर है?

डिलीवरी ट्रेडिंग

ऑप्शन ट्रेनिंग में। ऐसा नहीं होता ऑप्शन ट्रेनिंग में आपके पास कुछ दिन का समय होता है। इसके शेयर को बेचने के लिए आपको उसी दिन सेल करने की जरूरत नहीं होती ।

इसमें एक expiry date होता है जिस दिन आपको खरीदा गया शेयर को बेचना ही होगा। अगर आप इस दिन भी नहीं बेचा तो ये खुद ब खुद विक जाता है और आपको प्लेंटी भी लग जाती है । लेकिन इस में इंटरडे के मुकावले बहुत कम रिस्क होता है ।


कॉल ऑप्शन क्या होती है

मार्केट का ग्राफ कभी ऊपर जाता है तो कभी नीचे आता है इसे में लोग ट्रेड करते हैं । जब आपको लगता है के अब जहां से मार्केट बढ़ेगी और ऊपर जायेगी तब आप कॉल ऑप्शन बाय करते हो ।

मान के चलो मार्केट का प्राइस है 18900 और शेयर का प्राइस है 50 रूपये प्रति शेयर और आपको लगता है मार्केट बढ़ कर 19500 तक जायेगी और शेयर का प्राइस 100 रूपये प्रति शेयर जायेगा तब आप ने 18900 स्ट्राइक प्राइस से 50 रुपए प्रति शेयर मार्केट से खरीद लिए और बोला के इसका प्राइस 19500 जायेगा ।

इसको बोलते हैं कॉल ऑप्शन ऐसे जब प्राइस 19200 भी चला गया तब भी आपको मुनाफा हो जायेगा ।

पुट ऑप्शन क्या होती है|

जब भी मार्केट में गिरावट आएगी तब इसका कारण होता है के खरीद दार ज्यादा पैसा पुट पर लगा रहे है और इसको खीच रहे हैं के मार्केट नीचे जाए ऐसे में जब आप नीचे मार्केट जाने की बोली लगाते हैं तो उसको पुट ऑप्शन बोलते हैं
अब अपने सीखा कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन अब इसमें ट्रेडिंग की भाषा में बुलिष और बीयरश बोलते हैं ।


बुलिश मार्केट किसे बोलते हैं

जब मार्केट ऊपर की तरफ हो और सभी बायरज कॉल ऑप्शन बाय कर रहें हो तो मार्केट ऊपर जाने लगती है और इसे बोलते हैं बुलीश मार्केट

बीयरश मार्केट किसे बोलते हैं

जब मार्केट नीचे को तरफ जाए और लोग पुट ऑप्शन खरीदें तो मार्केट नीचे जाने को बीयरश मार्केट ट्रेंड बोलते हैं ।

what is bullish and bearish
फोटो में मैंने उद्धरण के तोर पे बताया है जिस से आपको अंदाज़ा हो जायेगा की जब मार्किट नीचे को ही जाती रहे तब बीयरश और जब सिर्फ उपरर को ही जाती रहे तब बुलिश बोलते हैं


इन द मनी और आउट द मनी क्या होता हैं

जब भी आप शेयरों की खरीद और बेच करते हैं तो वहां 4 तरह की ऑप्शन होती है ।

आप अभी नए हो तो आपको मैं मोटा मोटा बताउगा जिस से आपको ट्रेड करने में शुरू में आसानी होगी। इसमें दो ऑप्शन होती हैं इन द मनी और एक आउट ऑफ़ द मनी। और आपको हमेशा इन द मनी को ही सेलेक्ट करना है चाहे आप कॉल ऑप्शन बाये क्र रहे हो चाहे आप पुट ऑप्शन बाये कर रहे हो।

दोस्तों अगर देसी भाषा में सिखाऊ तो आपको हमेशा ग्रीन वाला प्राइस ही बाये करना है भले ही वो थोड़ा महंगा होता है लेकिन उसमे नुकसान कम होता है।

ATM , OTM and ITM

क्या आप भी उलझ जाते हो ATM, OTMऔर ITM में ? तो इसको पढ़िए आपकी साड़ी कनफुसन दूर हो जाएगी

At the money कॉल ऑप्शन (ATM)

उधारन के तौर पर अगर निफ्टी 18000 है और आप 18000 पर निफ्टी खरीद रहे हैं मतलब कि उसी प्राइस पर कॉल ऑप्शन लें तो इसे बोलते हैं एट द मनी कॉल ऑप्शन ये पुट ऑप्शन भी हो सकती है।

आउट ऑफ द मनी कॉल ऑप्शन (OTM)

मान लो निफ्टी 18000 पर है और अपने 18200 को कॉल ऑप्शन खरीदी जानिक निफ्टी के प्राइस से ऊपर का प्राइस लिया हो तो उसे बोलते हैं आउट ऑफ़ द मनी कॉल ऑप्शन ।

इन द मनी कॉल ऑप्शन (ITM)

जब निफ्टी 18000 के प्राइस पर हो और आप 12800 जानी कि चल रहे प्राइस से कम के भाव पर कॉल ऑप्शन लेंगे तो उसे इन द मनी कॉल ऑप्शन बोलते हैं।

इनको समझना बहुत जरूरी है यदि आप इनको गलत चूज करोगे तो आपका नुकसान हो सकता है । ज्यादातर ट्रेडिंग में expert लोग हमेशा इन द मनी बाय करने की सलाह देते हैं चाहे आप कॉल ऑप्शन में जाए चाहे पुट में। इसमें रिस्क थोड़ा कम होता है और फायदा ज्यादा हो जाता है ।


ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रीमियम क्या होता है

जब भी आप कोई ट्रेड लेने के लिए देखते हो तो हर एक शेयर का प्राइस होता है। जैसे की आप रेलाइन्स का शेयर बाये करने लगे तो उसके एक शेयर का जो मुल्लेह है उसे प्रीमियम बोलते है।

एक और उद्धरण जानते हैं जैसे की आप NIFTY 50 में गए और उसकी कॉल ऑप्शन बाये की तो वहां पर स्ट्राइक प्राइस के पास आपको एक शेयर का प्राइस दिखेगा तो उस प्राइस को प्रीमियम बोलते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रीमियम क्या होता है
ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रीमियम क्या होता है

प्रीमियम के बारे में हम अच्छे से जानेगे किसी और चैप्टर में जिस में हम विस्तार से बताया है की ट्रेडिंग में प्रीमियम क्या होता ह।


अप ट्रेंड क्या होता है

जभ भी मार्किट की बार्स ऊपर निचे जाती है और लगातार काफी समेह तक एक ही दिशा में जाती रहती है जानिकी कभी निचे की और बन जाती है तो कभी ऊपर लेकिन जब हम उसको ज़ूम आउट करके देखते हैं तो 20-30 मिनट में जा उपर ही रही होती है तो उसे अप ट्रेंड मार्किट बोलते हैं। जैसे मैंने एक फोटो के साथ भी समझाया है।

अप ट्रेंड क्या होता है
अप ट्रेंड क्या होता है

डाउन ट्रेंड क्या होता है

जब मार्किट की बार्स ऊपर निचे होती हुई लगातार निचे की और ही जा रही हो भाव की मार्किट को निचे गिरा रही हो तो उसको बोलते है डाउन ट्रेंड मार्किट।जैसे की मैंने फोटो में लाइन्स में सेलेक्ट करकर आपको समझाया है इसको देख कर आपको पता चल जायेगा के डाउन ट्रेंड क्या होता है

डाउन ट्रेंड क्या होता है
डाउन ट्रेंड क्या होता है

कंसोलिडेट मार्किट और साइड वे क्या होता है

जब आप मार्किट को हर रोज देखते हो तो आपको पता चलेगा की मार्किट कैसे चार्ट बनती है। यह कबि ऊपर जाती है जभी नीचे आती है। इसमें एक पैटर्न ऐसा होता है जिस में ना तो मार्किट निचे जाती है न ही मार्किट ऊपर जाती है। एक ही रेंज में ऊपर निचे होती रहती है।

कंसोलिडेट मार्किट और साइड वे
कंसोलिडेट मार्किट और साइड वे

मैंने इसकी उदारहरण ऊपर फोटो में भी दिखाई है। जिस में आप देख सकते हो मार्किट कैसे एक ही रेंज में सीधी जा रही है। इसको कंसोलिडेट मार्किट बोलते है जा फेर कह लो के मार्किट साइड वेज़ है।


कॉस्ट To कॉस्ट


जब भी आप ट्रेडिंग करते हो तो उसमे आपको कॉल जा पुट ऑप्शन में जाना होता है। मान लो अपने कॉल ऑप्शन ले लिया और आपको लग रहा है की मार्किट तो ऊपर जा ही नहीं रहा और आपका प्रॉफिट और लॉस -१०० जा फेर -२०० जा फेर घाटे में शो हो रहा है तो कई वॉर वही पर एग्जिट करना सही होता है।

ऐसे में जब अपने 100 रूपये के प्रीमियम से कॉल लिया था और 100 रूपये पर ही जा थोड़ा कम पर ही उसको वेच देते हो भाव के न तो आपको नुकसान हो न ही मुनाफा तो उसको बोलते हैं Cost To cost कट करना।


स्ट्राइक प्राइस क्या होता है

स्ट्राइक प्राइस किसी स्टाक सा इंडैक्स की वो कीमत होती है जिस पर बायर्स और सेलर्स ऑप्शन के कॉन्ट्रैक्ट को बनाते हैं ।
प्राइस एक्शन उस मूल्य की गति है जिसे हम चार्ट पर कैंडलस्टिक चार्ट या अन्य चार्ट के रूप में देखते हैं।
जैसे-जैसे शेयर की कीमत ऊपर या नीचे होती है, वैसे-वैसे चार्ट पर कीमत की गति भी बढ़ती जाती है।

नहीं समझ आया ? चलिए मैं आपको देसी भाषा में स्ट्राइक प्राइस क्या होता है बताता हूँ। मार्किट में जब ट्रेडिंग करने के लिए हम किसी भी प्लेटफार्म पर जाते हैं तो उसमे एक ऑप्शन चैन नाम का सेक्शन होता है। जिस पर बज़ार की क्या कीमत चल रही है वो बताई जाती है।

स्ट्राइक प्राइस क्या होता है
स्ट्राइक प्राइस क्या होता है

जा फिर इसको एक बोर्ड की तरह समझ लो जिस पर आपको मार्किट का चल रहा प्राइस पता चलता है और आपके हिसाब से बज़ार का प्राइस क्या हो सक्क्ता है ऊपर की और बढ़ सकता है जा फेर निचे जा सकता है वो सेलेक्ट करने के लिए एक बोर्ड पर सारा साहमने आ जाता है।
मैंने ऊपर फोटो में भी दिखाया है एक वॉर इसको समझो


सपोर्ट और रेसिस्टेन्स क्या होता है

मार्किट का उतराव चढ़ाव होता रहता है लेकिन जब कोई ट्रेडिंग शुरू करता है तो उसको यह दो चीज़ो को समझना बहुत आव्यशक होता है और वो है सपोर्ट और रेसिस्टेन्स।

देखिये देसी भाषा में समझो, जोणसि कैंडल का पाऊँ सबसे निचे टच करता है तो उस कैंडल के पाऊँ पे एक लाइन लगती है उसको बोलते है सपोर्ट और ऐसे ही जो व्ही कैंडल की सिर की चोटी सबसे ऊपर होती है उस चोटी पे ऊपर एक लाइन लगती है उसको बोलते हैं रेसिस्टेन्स।

अब समझो थोड़ा टेक्निकल तरीके से जिस किसी स्थान पर कैंडल्स वॉर वॉर आकर टच करके ऊपर की और बापस जाये वह पर लगता है सपोर्ट और जिस किसी स्थान पर ऊपर बार बार टच करें वहां पर लगता है रेसिस्टेन्स।

सपोर्ट  रेसिस्टेन्स
सपोर्ट रेसिस्टेन्स

मैंने फोटो में भी दिखाया है देखो और संजो ये लाइन्स आपको खुद लगानी होती है इनकी हेल्प से आप ाचा ट्रेड ले सकते हैं क्यूक जभ भी कैंडल सपोर्ट को टच करती है तो उसकी ऊपर जाने की सम्भावना बहुत बढ़ जाती है।

ऐसे ही जब कोई कैंडल ऊपर से रेसिस्टेन्स को टच करती है तो उसकी नीचे आने की सम्भावना व्ही उतनी ही बढ़ जाती है।
फिर भी अगर न समज आये तो कमेंट करके पूछ लेना आपको जवाब मिल जायेगा।

मार्किट का ब्रेकआउट होना क्या होता है

मार्किट का ब्रेकआउट होना क्या होता है
मार्किट का ब्रेकआउट होना क्या होता है

जब भी मार्किट कंसोलिडेट चल कर जा फिर साइड वेज़ चल कर रेसिस्टेन्स को तोड़ कर ऊपर की और जा फिर सपोर्ट को तोड़ कर निचे की और जाये तो उसे ब्रेकआउट कहते हैं। दोस्तों जाहि वो पॉइंट होता है जहा पर नए ट्रेडर्स भर भर के पैसा बनाते हैं। इस पर हम आगे चल कर बात करेंगे की ब्रेकआउट कैसे देखा जाता है।

आखिर में

तो दोस्तों आज आप लोगो ने सीखे वो सरे शब्द जिनकी जरूरत आपको ट्रेडिंग करने में और सीखने में बहुत ज्यादा पड़ने वाली है।इस आर्टिकल को धयान से याद करलो दोस्तों यही आपकी ट्रेडिंग की नीव है।

यदि आपको लगता है के आपके समझ कम आया है तो इसको एक वॉर दुबारा से पढ़ लो। अगर फिर भी आपको कुछ भी इसमें नहीं समज आया तो आप निश्चिन्त हो कर कमेंट में पूछ सकते हैं।

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धन्यवाद फिर से आना 🙏

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